टाइटैनिक जहाज एक बहुत बड़ी और मशहूर पासेंजर जहाज था जो 1912 में बनाया गया था। यह ब्रिटिश शिपबिल्डिंग कंपनी व्हाइट स्टार लाइन के मालिकीनी होता था और लंदन से न्यूयॉर्क की यात्रा के लिए निकला था।
टाइटैनिक 15 अप्रैल 1912 को बर्लिन में यात्रा करते समय नाइट में आईसबर्ग से टकराकर डूब गया। इस घटना में कुल मिलाकर लगभग 1500 लोगों की मौत हो गई। यह इतना बड़ा हादसा था कि यह दुनिया के लिए एक अद्वितीय और अवार्ड प्राप्त हो चुका है।
टाइटैनिक जहाज 882.75 फुट (268 मीटर) लंबा और 92.5 फुट (28 मीटर) ऊँचा था। इसकी कुल क्षमता 2,453 यात्री और 891 कर्मचारियों की थी। इसमें विभिन्न कक्षाओं, रेस्तरां, लाउंज और अन्य मनोरंजन सुविधाएं थीं।
टाइटैनिक पनडुब्बी
टाइटैनिक का मलबा दिखाने का काम ओशनगेट नाम की एक कंपनी करती है। इस कंपनी के पास एक छोटी पनडुब्बी या समरसेबल है, जो समुद्र की गहराइयों में उतरकर यात्रियों को टाइटैनिक का मलबा दिखाती है। टाइटैनिक का मलबा देखने में कुल आठ दिनों का वक्त लगता है। इसकी टिकट की कीमत ढाई लाख डॉलर यानी 2 करोड़ रुपये से भी अधिक है। पनडुब्बी यात्रियों को समुद्र में 3800 मीटर नीचे ले जा कर टाइटैनिक का मलबा दिखाती है।
इस दौरान हमेशा खतरा बना रहता है। इस यात्रा की कीमत और खतरे के कारण सिर्फ चंद लोग ही टाइटैनिक का मलबा देखने की हिम्मत जुटा पाते हैं।
दुनिया के सबसे चर्चित जहाज़ टाइटैनिक का मलबा दिखाने गई पनडुब्बी टाइटन के दुर्घटनाग्रस्त होने की जानकारी सामने आई है.
ये पनडुब्बी बीते रविवार लापता हुई थी.
पनडुब्बी में सवार पांचों अरबपति
पनडुब्बी में सवार पांचों अरबपति यात्री टाइटैनिक जहाज के अवशेष को देखने के लिए गए थे. उस पनडुब्बी में ब्रिटिश-पाकिस्तानी अरबपति शहजादा दाऊद (एंग्रो कोर्प के उपाध्यक्ष) और उनका बेटा सुलेमान, ब्रिटिश अरबपति हामिश हार्डिंग, फ्रांसीसी पर्यटक पॉल-हेनरी नार्गियोलेट और ओशनगेट के सीईओ स्टॉकटन रश सवार थे.
5 दिनों तक चलती खोज, नहीं बचा पाए खोजी
टाइटन पनडुब्बी के लापता होने की सूचना मिलते ही अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा समेत कई देशों के खोजकर्ताओं की टीम सर्च-ऑपरेशन में जुट गई थीं. हालांकि, 4 दिनों तक किसी को समुद्र में वो पनडुब्बी नहीं मिली. सर्च-ऑपरेशन को 96 घंटे बीत चुके थे और जैसा कि पहले बताया गया था- पनडुब्बी में 4 दिन के लायक ही ऑक्सीजन थी, वो खत्म हो चुकी थी. यूएस कोस्ट गार्ड ने एक बयान जारी किया, कि मध्य अटलांटिक महासागर में जहां 1912 में टाइटैनिक जहाज डूबा था, उसी के पास उन्हें पनडुब्बी का मलबा मिला है. हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि मलबा उसी पनडुब्बी का है, जो 18 जून 2023 को लापता हुई.
अमेरिकी कोस्ट गार्ड ने दी मलबा बरामद होने की सूचना
अमेरिकी कोस्ट गार्ड ने गुरुवार को कहा कि टाइटन पनडुब्बी में सवार सभी पांच लोग मारे गए हैं। लापता पनडुब्बी का टेल कोन और दूसरा मलबा टाइटैनिक के मलबे से 1600 फीट की दूरी पर मिला। यह जगह उत्तरी अटलांटिक महासागर में करीब 13000 फीट की गहराई पर स्थित है। यूएस कोस्ट गार्ड के फर्स्ट कोस्ट गार्ड डिस्ट्रिक्ट कमांडर एडमिरल जॉन माउगर ने बताया कि मलबा जहाज के विनाशकारी विस्फोट के अनुरूप है। अमेरिकी नौसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि नौसेना को रविवार को मलबे वाले क्षेत्र में एक विस्फोट के अनुरूप आवाज सुनाई दी थी। यह वही जगह थी, जहां टाइटन पनडुब्बी गोता लगा रही थी। अधिकारी ने गुरुवार को कहा कि नौसेना ने तुरंत उस सूचना को खोज प्रयास का नेतृत्व कर रहे ऑन-साइट कमांडरों को भेज दिया और इसका इस्तेमाल खोज के क्षेत्र को कम करने के लिए किया गया।
हादसे की वजह क्या रही होगी, कैसे डूबी पनडुब्बी?
पनडुब्बी के दुर्घटनाग्रस्त होने की वजहों को जानने की कोशिश की जा रही है. एक रिपोर्ट में बताया गया कि लापता पनडुब्बी में 10 साल पुराने गेमिंग कंट्रोलर का इस्तेमाल किया गया था, जिसने काम करना बंद कर दिया होगा. वहीं, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि पनडुब्बी जब गहराई में जा रही थी, तो उसमें तकनीक खराबी आ गई होगी. और, ये भी हो सकता है कि वो टाइटैनिक जहाज के मलबे से टकराकर फंस गई हो. इन सवालों के जवाब तलाशे जा रहे हैं.
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